पिता के रूप में ईश्वर, हमारे पास होता है

वो चाहे सूक्ष्म हो,स्थूल हो, विश्वास होता है।
पिता के रूप में ईश्वर, हमारे पास होता है।।

हमेशा मौन रहकर भी, बहुत कुछ बोलने वाले।
घरौंदे के लिए, एक एक तिनका जोड़ने वाले।।
दुआओं की बड़ी दौलत है, मालामाल होते हैं।
खुले में हैं सभी बच्चे, पिता तिरपाल होते हैं।
करें बच्चे तरक़्क़ी, तो उन्हें उल्लास होता है।
पिता के रूप में ईश्वर, हमारे पास होता है।।
सुबह घर से निकलते, शाम को वो लौट आते हैं।
ख़ुशी की थैलियों में, कुछ न कुछ सामान लाते हैं।
कहाँ से लाए, ये अहसास तक होने नहीं देते।
पिताजी भूख़ से सन्तान को, रोने नहीं देते।।
पिता के प्यार से, पतझड़ में भी मधुमास होता है।
पिता के रूप में ईश्वर, हमारे पास होता है।।
यही तो स्वर्ग है,सुख है, सदा सोचा अकेले में।
पिता कंधे पे ले जाते, घुमाने जब भी मेले में।।
वही इक प्रश्न,बीसों बार, पूछा था पिता जी से।
न झुंझलाए,न चिल्लाए, बताया ख़ूब राजी से।।
अगर ख़ुश हैं पिता जी, तो ख़ुशी का वास होता है।
पिता के रूप में ईश्वर, हमारे पास होता है।।
ज़माने का तज़ुर्बा है, पिता की सोच के अंदर।
ख़ुशी के वो हिमालय हैं, वही आनन्द के सागर।
मेरा दामन न हो खाली, खुशी से खूब भर देना।
हमारे शीश पर, आशीष का बस हाथ धर देना।।
पिता भूगोल है सबका, पिता इतिहास होता है।
पिता के रूप में ईश्वर हमारे पास होता है।।

-----------डॉ. सुनील त्रिपाठी निराला

                           (राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित)



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